राज़

ये बेचैनी, ,ये कशमकश
कुछ ख़ास हैं ,
इसमें तुमसे मिलने का अहसास हैं ,
लोग कहते है
इस खुशी का कुछ तो राज़ है ,
तुम्हारे साथ होने की आस ,
तुम्हारी मीठी सी बात ,
तुम्हारी प्यार भरी नज़रें ,
तुम्हारी चांदी सी मुस्कान ,
बस और कुछ नहीं हैं राज़ ।

– हर्षिता

“राज़” के लिए प्रतिक्रिया 9

  1. बहुत ख़ूबसूरत कविता 🌷👌🙏 एक अच्छा प्यार मिलने की उम्मीद के कारण मन की तड़पना बहुत
    सुन्दरता से वर्णित किया गया है ♥️👍🏻😊बहुत बधाइयाँ 🌷♥️🌷

    Liked by 1 व्यक्ति

  2. कुछ और नही है राज
    प्यार से भरा ये साज

    Liked by 1 व्यक्ति

Leave a reply to Thattamma C.G Menon जवाब रद्द करें

Design a site like this with WordPress.com
प्रारंभ करें