आज फिर तुझे याद किया
खुली आंखों से सपनो का आगाज़ किया
नींद का सौदा रात के साथ किया
हर क्षण को स्वपनों का तेरे उपहार दिया
आज फिर तुझे याद किया
अतीत को न जाने कितनी बार यथार्थ किया
वर्तमान से भूत में जाने का कई बार प्रयास किया
सुखद पलों को सज्जित अपने वर्तमान का हार दिया
आह! स्मृति मात्र को अपने जीवन का आधार किया
आज फिर तुझे याद किया
– हर्षिता
टिप्पणी करे