एक और आम दिन । रात ख्वाबों को देखा , उन्हें मन ही मन जिया पर सुबह फिर पथ से भटक कर आराम का आश्रय लिया।
सपने देखने जितना आसान होता है उन्हे सच में बदलना उतना ही मुश्किल। मुश्किल इसलिए नहीं होती की हमारा रास्ता कठिन हैं बल्कि मुश्किल इसलिए होती है क्योंकि हम स्वयं अपने सपने और सच के बीच का सबसे बड़ा फासला होते हैं।हम हिम्मत ही नहीं करते की धीरे चलकर ही सही पर उस दूरी को समाप्त करने का प्रयास करें।
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